बेपनाह - 6

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6 यूं ही तो कोई बेवफा नहीं होता कोई न कोई मजबूरिया रही होगी ! शुभी ने सोचा। “शुभी यार,मुझे माफ तो कर दो, तेरा गुनहगार हूँ मैं ! मैंने गलत किया था खुद को सजा देने के लिए लेकिन अनजाने में मैं तुम्हें ही सजा दे गया ।“ “चलो अभी हम इस बात को यहीं पर खत्म करें ! यह शाम जो इतने दिनों के बाद मिली है क्या उसे शिकवा शिकायतों में ही निकाल देंगे ? यूं ही तो कोई बेवफा नहीं होता कोई न कोई मजबूरियां रही होगी ! शुभी को यह शेर याद आया । “ओहह,,मैं