बेपनाह - 1

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“शुभी सुनो, कहाँ हो तुम ? आओ यहाँ मेरे पास आकर बैठो ।” मम्मी की हल्की सी आवाज उसके कानों में पड़ी। हुंह ! बुलाने दो मम्मी को, मैं नहीं जा रही । शुभी मन ही मन बड़बड़ाई । “शुभी आओ बेटा ..........।“ मम्मी ने थोड़ा और ज़ोर से आवाज लगाई । उसने अपनी मम्मी की बात को फिर से अनसुना करते हुए तकिये में मुँह छिपाया और आँखें बंद कर ली, अब उसकी आँखों के सामने घूम रहे थे कालेज के वे प्यारे दिन, जब ऋषभ उसके साथ में थे। वो और ऋषभ एक दूसरे की जान की तरह, जहां ऋषभ वहाँ शुभी और जहां शुभी वहाँ ऋषभ ..