विश्वासघात--(सीजन-२)--(अन्तिम भाग)

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बुढ़िया इतना मत चीख,हाँ! मैं ही तेरे पति का हत्यारा हूँ और तू मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकती और ना ही तेरा बेटा,विश्वनाथ बोला।। बेटा! उस रात हम लोंग किसी की शादी से लौट रहे थे,सड़क के किनारे लगे लैम्पपोस्ट की रोशनी थी,सुनसान सड़क थी,तुम दोनों छोटे थे,रास्ते में ये अपने दो तीन साथियों के साथ खड़ा था और इसने किसी के पेट पर चाकू भोंक दिया तेरे पिताजी उस समय हवलदार थे तो उन्होंने अपना फर्ज निभाया और इसे रोकने की कोशिश की थी तो ये तेरे पिताजी का खून करके फरार हो गया और मैं तुम दोनों