मानव दुनिया में शक्तिशाली और अति बुद्धिमान प्राणी माना जाता है, परन्तु जब बात उम्र की आती, तो यह भी स्वीकार किया गया कि हर दिन क्षीण होती शक्ति, उसे कमजोरी का भी अहसास कराती है। ऊपरी सतह पर ये बात बिल्कुल सही लगती पर विवेचना करने से, यह भी आभाष किया जा सकता है कि बढ़ती उम्र सिर्फ शारीरिक और मानसिक कमजोरी का एकमात्र कारण हो सकती पर उतनी नुकासानदायक नहीं जितना हमारा स्वयं का चिंतन उसे प्रभावित करता है। उम्र कोई अफसोस नहीं, जिसपर रोया जाय, जहां मृत्यु एक भविष्य की सच्चाई है, वहां जीने का अहसास उससे