कबूल करना मुश्किल था - 2

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Queen of hills मसूरी, यह पहाड़ तो मानो सीधा जाकर सूरज को ही छू रहे थे, हल्की हल्की सी ठंडी हवा बिल्कुल साफ नीला आसमा खुशनुमा सा मौसम था एक खुलापन सा था। यहां टेढ़े मेढ़े से रास्ते जिनप घूमते घूमते हम आए थे, मैं कवि होता ना तो यहां बैठकर पूरी किताब लिख सकता था। हममें से कोई कुछ बोल ही नहीं रहा था, अभी फिलहाल इन पहाड़ों को ही देख रहे थे नोएडा से यहां तक 6 - 7 घंटे के ट्रेवल से हमें थक जाना चाहिए था ना पर excitement के मारे हम थके ही नहीं थे हम