विशाल छाया - 6

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(6) “मेरी समझ में नहीं आता कि जब हम दोनों एक दुसरे को चैलेंज कर चुके है तो फिर तुम इस प्रकार की बातें क्यों कर रहे हो !” “तो तुम नहीं मानोगे ?” “नहीं । ” विनोद ने गरज कर कहा ।  “अच्छा यह बताओ कि तुमने अब तक मेरा चेहरा देखने की कोशिश क्यों नहीं की, जब की, जब कि तुम्हारा पहला काम यही होना चाहिये था ?” “तुमने यह प्रश्न पूछ कर फिर अपनी पराजय स्वीकार कर ली दोस्त !” विनोद ने हँस कर कहा ।  “वह कैसे ?” नारेन सिटपिटा गया ।  “वह इस प्रकार कि