मैं जब छोटा था तो मैंने कई टेलीविजन प्रोग्राम में कहते सुना था कि अंत भला तो सब भला । कई बार ये ख्याल आता था क्या सच में ऐसा होता है की अंत में सब भला हो जाता है ? ये समझना मेरे लिए उतना ही जरूरी था जैसे दसवीं में सबको गणित में उत्तीर्ण होना ज़रूरी होता है ।इसी सोच में मैं निकल पड़ा बस्ता लेकर स्कूल की ओर। तब मैं पढ़ने में थोड़ा निकम्मा था स्कूल जाना तो मेरे लिए कुछ ऐसा होता था जैसे की कोई पहाड़ सर पर आ गया हो धीरे धीरे कदमों से यह