इधर राजवीर को बार - बार आरव के द्वारा की गई अपनी बेज्जती और कायरा से माफी मांगना याद आ रहा था । उसने गुस्से से उबल कर , अपने पूरे कमरे के सामानों को तोड़ दिया था । दस मिनट में ही उसने अपने कमरे का नक्शा ही बदल डाला था । रह - रह कर उसे आज की घटनाएं याद आ रही थीं । वहीं सब याद कर, गुस्से से उबलते हुए उसने खुद से कहा । राजवीर - ये तुमने ठीक नहीं किया आरव....। मेरे ही पिता के सामने तुमने मेरी बेज्जती की । मुझे तुम्हारी वजह