बेवजहा के ख़याल - 2

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मेरा एक दोस्त कहता था उसका बचपन से ख़्वाब था कि दिल्ली के किसी अच्छे कॉलेज में पढ़े और उसकी एक गर्लफ़्रेंड हो जिसे वो रोज़ शहर घुमाए।मैं उससे कहता था मैं कहानियों के जैसा होना चाहता हूँ जिसे स्कूल कॉलेज से कोई मतलब न हो और वो जंगल मे रहने वाली किसी खूबसूरत लड़की से मुलाक़ात करे और उसके साथ पहाड़ो पर घूमे। और बेफिक्र होकर पूरा जंगल घूम जाए और वापस उसी जगहा आ जाये जहाँ से सफर सुरु किया था हर रोज की मानिंद और फिर कुछ दिन तक यही सब करता रहूँ बेपरवाह होकर किसी की