टेढी पगडंडियाँ 12 गाङी तो चली गयी पर किरण उसी तरह बौखलायी सी सुधबुध खोए वहीं खङी रही । बसंत ने आकर पुकारा तो जैसे वह होश में आयी । बसंत उससे मुखातिब था – बीबी जी हाथ मुँह धो लीजिए और कमरे में चलकर आराम करिये । वह जैसे नींद से जागी और सीधी कमरे में भागी । अंदर पहुँचकर उसने पूरे जोर से दरवाजा बंदकर अंदर से सिटकनी लगा ली और दीवार के सहारे बैठ घुटनों में सिर दिये रोने लगी । पता नहीं कितनी देर उसी पोजीशन में बैठी रोती रही । एक घंटा