गांधीछाप की महिमा

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गांधीजी ने देशवासियों को सत्य, अहिंसा तथा प्रेम का पाठ पढ़ाया। लेकिन हमलोग कुछ ज्यादा ही देशभक्त निकल गए। अतः गांधीजी के बताए हुए रास्तों पर नहीं चलकर ‘गाँधीछाप’ के रास्ते पर चलने लगे। आज जिधर भी नजरें दौडाता हूँ तो यही एक बात देखता हूँ कि मनुष्य गांधीछाप के पीछे दौड़ रहा है। इसमें वे भी शामिल हैं जिन्होंने ‘त्याग’ को अपने जीवन का मूलमंत्र बनाया है। गाँधीछाप के चमक से कोई भी अछूता नहीं रहा है – श्रमिक, अधिकारी, राजनेता, चिकित्सक, साधु-संत, कसाई आदि सभी इसके दीवाने हैं। गांधीछाप की प्राप्ति के लिए सभी इस कदर अभिनय करते