विश्वासघात--(सीजन-२)--भाग(११)

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मैं टैक्सी में नहीं आऊँगी,लाज बोली।। लेकिन क्यों? प्रकाश बोला।। मै तुम्हारा भरोसा क्यों करूँ?लाज बोली।। अच्छा !तो तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं,तुम्हें याद है,पहली मुलाकात में तुम रातभर मेरी टैक्सी में सोती रही,उस दिन तो तुमने भरोसा कर लिया था, अगर मैं बुरा इन्सान होता तो सुबह तुम मुझे शुक्रिया कहते हुए ना जाती,प्रकाश बोला।। उस दिन मैं होश में नहीं थी,इसलिए भरोसा कर लिया था,तो आज तुम क्या चाहते हो?लाज बोली।। मैं तुम्हें चाहता हूँ,प्रकाश बोला।। क्या बकते हो? मुझे जाने-पहचाने बिना तुम ऐसा कैसे कर सकते हो?लाज ने पूछा।। मौहब्बत जान-पहचान करके नहीं होती,मेमसाहब!प्रकाश बोला।। तुम तो