मैं बेकसूर हूँ....

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अग्रणी! बेटा!तैयार हो गई...एकाध घंटे में बस बारात दरवाज़े पर पहुँचती ही होगी.... किशनलाल जी ने अपनी भाँजी अग्रणी से कहा..... जी! मामाजी! बस!चूडियाँ पहननी बाकी़ रह गई हैं,मामी जी सारे सामान के साथ रखना भूल गई थीं,इसलिए दूसरे कमरे से लाने गईं हैं,अग्रणी ने उत्तर दिया। बेटा! बुरा ना मानो तो एक बात कहनी थी तुमसे! किशनलाल जी कुछ सकुचाते से बोलें।। जी! कहिए! मामाजी!ऐसी क्या बात है?जो आप इतना संकोच कर रहे हैं,अग्रणी ने पूछा।। वो तुम्हें किसी से मिलवाना था,किशनलाल जी बोले।। जी! कौन है वो? अग्रणी ने बहुत ही उत्साहित होकर पूछा।। तुम ख़ुद ही देख