"थोड़ी देर तुम लोग संभाल लेना मैं एक दो घंटे में वापिस आती हूँ " नर्स को कह कर डॉ तारा फटाफट से हॉस्पिटल की सीढिया उतर गई और चलने लगी, उसके चहेरे पर भारी थकान थी आंखे सूजी हुई थी पिछले ४८ घंटो से उसने झपकी तक नहीं ली थी।तारा की उमर तक़रीबन ३० साल थी डॉक्टर बनने के बाद किसी बड़े शहर के नामी हॉस्पिटल में प्रक्टिस करने की बजाय उसने धरमपुर नाम के छोटे से आदिवासी गांव के पास बने हॉस्पिटल को चुना क्यों की बचपन से उसमे पापा के सेवा के संस्कार थे और गाँव में रहते