अतीत

  • 6.5k
  • 1.9k

वर्षा ऋतु का सुहावना समय था। आकाश में काले काले बादल छाए हुए थे 1 पपीहा पीयू पीयू की पुकार कर रहा था। मोर अपने सुंदर पंखों को फैला कर मस्त होकर नाच रहे थे। प्रकृति अपने पूर्ण यौवन में दिखाई दे रही थी। चारो ओर फैली हुई हरियाली ऐसी लग रही थी मानो प्रकृति रुपी नायिक हरे रंग की चुनरी ओढ़ कर प्रिय मिलन की प्रतीक्षा कर रही हो । ऐसे सुहावने मौसम में भला कौन अपने प्रियतम की याद में न खो जाएगा।लालिमा भी जो झरोखे में बैठी प्रकृति के मनमोहक दृश्य का आनंद ले रही थी अपने