द्रौपदी की व्यथा (अंतिम भाग)

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"इन सब बातों को कौन मानेगा?"युधिष्ठिर बोला,"मां ने धर्म विरुद्ध और अनैतिक काम ही नही किया।पति को भी धोखा दिया।""तुम्हारे मुह से धर्म की बाते अछी.नही लगती",अपने पति की बात सुुनकर द्रौपदी बोली थी।"कृष्णे।यह तुम क्या कह रही हो,"द्रौपदी की बात सुनकर भीम बोला,"बड़े भैया को दुनिया धर्मराज के नाम से जानती है।भैया धर्म के ज्ञाता है।""युधिष्ठिर और धर्मराज आ हा--द्रौपदी ज़ोर से हंसी थी,"तुम्हारे भैया जैसा अधर्मी और अनैतिक कृत्य करने वाला आदमी मैने आज तक नही देखा।""द्रौपदी तुम बड़े भैया का अपमान कर रही हो,"द्रौपदी की बात सुनकर अर्जुन बोला,"मैं बड़े भैया के अपमान को बर्दाश्त