अगले 1 महीने में नादिर ने बहुत मेहनत की और उसकी हेल्प सुहाना ने की । नादिर दिन रात अपनी पढ़ाई करता और सुबह स्कूल अटेंड करता। टाइम पर कोचिंग जाता, साथ ही टाइम पर घर आता। वह वक्त भी नजदीक आ गया जब नादिर सुहाना के ट्राइमेस्टर थे । फर्स्ट एग्जाम के दिन नादिर बहुत डर रहा था, उसके हाथ-पांव फूल रहे थे यह सोचकर कि वह अच्छे से एग्जाम पास कर पाएगा या नहीं। हर बार की तरह कहीं इस बार भी उसकी मेहनत बेकार ना चली जाए, वह फिर से कहीं फेल ना हो जाए। नादिर अपने