हिंदी साहित्य में प्रकृति चित्रण

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प्रकृति सदा से ही मानव की चिरंसंगिनी रही है । सृष्टि के प्रारंभ मैं सर्वप्रथम मानव ने प्रकृति की गोद में ही अपनी आंखें खोली प्रातः कालीन उषा की लालिमा, स्वच्छंद आकाश में विचरण करते हुए पक्षी, संध्या काल में अस्ताचल पर बिखरी हुई लालिमा ,पेड़ों पर समूह में बैठी हुई चिड़ियों की चहचहाहट, रात्रि के समय नभ मंडल पर टिमटिमाते तारे, आकाश में छाई हुई काली घटाएं, उन्हें देखकर मस्त होकर नृत्य करता हुआ मयूर , सप्तरंगी इंद्रधनुष ,न जाने कितने ही प्राकृतिक सौंदर्य सदा से ही मानव आकर्षण का केंद्र रहे हैं। आज भी जीवन का मधुर संगीत