शीर्षक: झूठ, मक्कारी और चोरी, तीन खूंखार शेरदुनिया एक सच है, परन्तु झूठ के रोग से भयंकर ग्रस्त है। कहीं भी जाये दूर दूर तक झूठ का साम्राज्य फल- फूल रहा है। अब तो नोबत यहां तक आ गई कि सच बोलने से कतराना ही सही लगने लगा। आज अगर कोई सच बोलकर जीने की कोशिश करता भी है, तो समझ लीजिये झूठ बोलने वाले लोग उसका जीना दूभर कर देते है। भारतीय परिवेश की बात करे तो सच नदारद होता नजर आ रहा है। एक आकर्षक झूठ जितनी सहजता से प्लेटफार्म बना लेता है। अगर कहे,एक शुद्ध सच उसके कई