वर्जित व्योम में उड़ती स्त्री - 3

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भाग तीन मैं क्या करूं भगवान क्या करूँ, कैसे रहूँ तेरी इस दुनिया में ? मुझे अभी कितनी पीड़ा सहनी पड़ेगी | कितना अपमान झेलना पड़ेगा ? अब और सहा नहीं जाता | तूने मेरे भाग्य में कितने ढेर –सारे दुख-दर्द लिख दिए है  | मेरे भीतर की स्त्री छटपटा रही है | मेरा कहीं कोई संबल नहीं | कोई मुझे प्यार नहीं करता | क्या तुम भी मुझे प्यार नहीं करते ? क्या तुम्हें भी मुझसे गुरेज है ? क्यों नहीं मुझे अपने पास बुला लेते ? अगर तुम कहीं हो तो मेरी पुकार सुन लो | मुझे अपने