और इतनी बड़ी इकोनामी पाकिस्तान की है ही नहीं. वह सारा फंडिंग बाहरी मुल्कों से आता है. उन्हें आप लोगों से इनसिक्योरिटी है. अगर इंटरनेशनल लेवल पर आप इन फंडिंग का मुद्दा उठाकर उस पर शिकायत तो पाकिस्तानी आपका दोस्त ही है. और आपको यह कभी नहीं भूलना चाहिए की आजादी के पहले भारत पाकिस्तान दोनों एक ही थे. अगर एक ही रात में ऐसा सब कुछ हुआ है तो कुछ ना कुछ गलत जरूर हुआ है. अदैन्य के ऐसे वाक्यों को सुनकर हॉल मैं थोड़ी देर के लिए सन्नाटा छा गया मगर कुछ ही देर के इस सन्नाटे के बाद है