घर का डर - ४ - अंतिम भाग

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उस कंडक्टर की इस बात से ही नन्दन की नींद खुली हाफते हाफते माथे का पसीना पोछा और अपने बगल में देखा तो एक पल को सुकून से आँख भर आयी.. नन्दन का ३ महीने का बच्चा नंदन की बीबी से लिपटकर सुकून से सो रहा था नन्दन को रोज रात वक्त पे खाना पहुँचाते हुए ३ साल हो चुके थे जब वहा से भागने के उसके सारे तरीके जवाब दे गये तो आखिरकार नन्दन ने अपने पिताजी यानी सरपंच की खेतीबाड़ी और अनाज का सारा काम काज संभल लिए इसी बिच उसने शादी भी की और अब एक छोटी