अभिव्यक्ति - दहलीज के पार

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एक आम भारतीय गृहिणी की तरह रजनी भी अपने घर को पूरी जिम्मेदारी के साथ संभालतीं है हर दिन सुबह सूरज से पहले उठ कर देर रात तक घर के कामों की आपाधापी सी मची रहती है रात होते होते शरीर बुरी तरह थक चुका होता है और फिर गांवों ,छोटे कस्बों में शहरो की तुलना में काम भी थोड़ा अधिक श्रम वाला होता है,छोटे बड़े इतने सारे काम होते हैं कि रजनी अपने लिए भी थोड़ा वक्त नहीं निकाल पातीं, ऐसा नहीं है कि रजनी कुछ और काम करना नहीं चाहती पर कभी समय ही नहीं मिलता,उसका सारा समय