अविनाश और पारुल दोनो अपने अपने जीवन मे व्यस्त हो जाते है । अविनाश अपने काम में खुद को इतना व्यस्त रखने लगा कि वह खुद ही भूल गया था कि वह इंसान है । वह खुद को इसी उलझन मै व्यस्त रखना चाहता था ताकि पारुल की कमी उससे महसूस ही ना हो । दूसरी ओर पारुल की भी यादाश्त वापस आ रही थी । जो उसके और अविनाश के बीच में अतीत मै हुआ था उसके मॉम डेड की डेथ सारी बाते उससे याद आ गई थी । इन दिनों पारुल के आंखो से आंसू सूखने का नाम