अनजान रीश्ता - 46

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अविनाश पारुल के लिए कमरे में खाना ले जा रहा था । वह सेम की बात को मन ही मन में दोहरा रहा था । वह सोच रहा था कि क्या करे !??। ऐसा तो कभी होगा नहीं की वह पारुल को किसी ओर का होने दे । चाहे जो भी हो फिर पारुल नफरत ही क्यों ना करे उससे । लेकिन पारुल रहेगी तो उसके साथ ही । तभी उसका मन ही उससे सवाल पूछती है कि जब पारुल ठीक हो जाएगी तब तुम्हे लगता है वह तुम्हारे साथ रहेगी । कभी भी नहीं जो भी अतीत मै हुआ