दोषी

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"दोषी" जया पति के होते हुए अकेली थी। बच्चों का पालन पोषण कर रही थी। पढ़ लिखकर बेटी अपने घर की हो गई। बेटा पढ़ रहा था।दो बच्चों के पिता बनने के बाद पति को किसी औरत से इश्क हो गया। परिवार छोड़ प्रेमिका के साथ रहने चला गया। अलगाव होने पर दोष का टोकरा सदा औरत को ही ढोना पड़ता है। ये अच्छा था जया पढ़ी लिखी थी। घर चलाने के नौकरी करने लगी । जया घर देर से पहुंची।शाम से बेटे की निगाहें दरवाजे पर टंगी थी।घंटी