रात - 9

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रात के साढ़े बारह बज रहे थे। सभी अपने-अपने कमरों में सो गए थे। हवेली में सन्नाटा छाया हुआ था। स्नेहा, भक्ति, अवनि और रिया अपने कमरे में सो रही थे। अचानक भक्ति अपने बिस्तर से उठी और चलने लगी। वो जैसे चल रही थी, उससे ऐसा लग रहा था की जैसे वो किसी के वश में हो। वो चलते चलते रोहन के कमरे के पास पहुंची।