माटी से प्यार

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माटी से प्यार" भोलानाथ का जीवन माटी में रचा बसा सादगीभरा था। खेती-बाड़ी का काम पिता से विरासत में मिला था। भोलानाथ ने अपने इकलौते बेटे को शहर पढ़ने भेज दिया। खेत में दिनरात मेहनत कर पढाई का खर्च संभाला। नौकरी मिलते ही बेटा शहर में बस गया। पत्नी की मौत के बाद भोलानाथ अकेले हो गये । तबियत बिगड़ी ।बेटा भोलानाथ को शहर लिवा ले गया। ठीक होते ही भोलानाथ वापस गांव चले आये।उनका माटी प्रेम वापस गांव खींच लाया। खेत में श्रम किए बिना नहीं रह