शिक्षा-संसार में हो रही 1998 में हो रही हलचल पर एक दृष्टि भारतीय जनता पार्टी के सत्ताच्युत होने के कुछ दिनों बाद तक शिक्षा के सवाल पर चल रही बहस में उत्तेजना का ताप बना रहा, पर धीरे-धीरे शिक्षा को लेकर हमारे समाज की चिरपरिचित उदासीनता दिखाई देने लगी। अगर सारे घटनाक्रम पर गौर करें, तो लगता है कि बहस जितनी शिक्षा पर थी, उससे कहीं ज्यादा राजनीति पर थी। पर बहस सार्थक फिर भी हो सकती थी, अगर धीरज के साथ शिक्षा और राजनीति या शिक्षा और विचारधारा के रिश्तों की कुछ और गहराई से पड़ताल की