अधूरा पहला प्यार (तीसरी क़िस्त)

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यह मकान मीरा का था।उसे समझते देर नही लगी।अंधेरे में जो आकृति वह देख रहा था,वो मीरा की थी।"रुको मैं अभी आयी।"मनोहर वहीं खड़ा रह गया था।मीरा दरवाजा खोलते हुए बोली,"जल्दी से अंदर आ जाओ।"मनोहर के अंदर जाते ही मीरा ने दरवाजा बंद कर लिया था।तभी कोई आदमी लाठी टेकता हुआ अंधेरी गली से गुज़र गया था।"देख कोई जा रहा है।हमे देख लेता तो"मनोहर ने पूछा था,"लेकिन तूने मुझे अंधेरे में पहचाना कैसे?""मैं रोज देख रही थी।तू या ही टेम पर घर लौटे है।आज मोको देखकर तोहे रोक लियो।""तेरी दादी कहाँ है?""तू वा की चिंता मत कर।वाहे न ढंग से