अर्पण--भाग (११)

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अच्छा ! आप लोगों ने खाना खाया,राज ने सुलक्षणा और श्रीधर से पूछा।। जी,खाना भी खाया और पार्टी का आनन्द भी उठाया,श्रीधर बोला।। जी श्रीधर बाबू! आपके गीत ने तो पार्टी में चार चांद लगा दिए, बहुत बहुत शुक्रिया जो आपने मेरी बात का मान रखा और मेरे कहने पर गीत प्रस्तुत किया,राज बोली।! जी! शहजादी साहिबा का हुक्म जो था, इसलिए मानना ही पड़ा,श्रीधर बोला।। जी!श्रीधर बाबू! ये हुक्म नहीं था,बस एक छोटी सी गुज़ारिश की थी आपसे,आपकी एहसानमंद हूं जो आपने मेरी बात सुनी,राज बोली।। कैसी बातें करतीं हैं राज जी! देवनन्दिनी जी की सालगिरह थी,ये तोहफा तो