आभा.…...( जीवन की अग्निपरीक्षा ) - 8

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आखिरी लाइन कहकर सुनीता जी फिर शांत हो जाती हैं , तो स्तुति उन्हें आगे बताने के लिए कहती है । वो अपने आसूं साफ कर आगे कहती हैं । सुनीता जी - अपनी बच्ची की हालत जानकर गुड़िया के पापा के पैरों तले जमीन ही नहीं रहती और वो वहीं पड़ी कुर्सी पर बैठ जाते हैं । हम उनसे भी गुड़िया से मिलने की गुहार लगाते हैं , पर वे कुछ नहीं कह पाते । डॉक्टर्स ने गुड़िया से किसी को मिलने नहीं दिया था , न ही हमसे और न ही गुड़िया के पापा से । अगले दस