इन्तजार एक हद तक - 9 - (महामारी)

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रमेश के हाथ कांप रहे थे और उसने वो चिट्ठी खोली।लिखावट तो किसी और की थी। उर्मी की नहीं थी।लिखा थाबेटा रमेश...तू तो नही आया अब हमलोग तेरा आसरा भी नहीं देख सकते हैं।तुमको एक खुशखबरी देना था पर इस महामारी के कारण पहले नहीं दे पाई।उर्मी बहु की आजकल बहुत तबीयत खराब सा रहता है क्योंकि तू अब पापा बनने वाला है उर्मी बहु का सातवां महीना चल रहा है पर उसकी तबीयत ठीक ना है। बच्चे की तबीयत भी ठीक ना है।क्या कहुं बेटा मुसीबतों का पहाड़ खड़ा हो गया है।हकीम पुर गांव के बाद हुकुलगंज में एक