प्रेम और वासना - भाग 2

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वासना" शब्द कि विडम्बना यही है, एक जायज क्रिया के साथ नाजायज की तरह व्यवहार किया जाता है। अंदर से सबका इससे आंतरिक रिश्ता होते हुए भी, इस के प्रति अवहेलना और तिरस्कार पूर्ण नजरिया रखते है। आखिर, वासना से इतनी घृणा क्यों ? क्या वासना प्रेम की एक जरूरत नहीं, क्या वासना आकांक्षाओं का सुंदर स्वरुप नहीं है ? ऐसे और भी सवाल है, जिनके उत्तर हम यहां तलाशने की कोशिश करते है, पर उससे पहले हमें वासना का सही परिचय प्राप्त करना होगा। वात्सायन ऋषि थे, उन्होंने वासना के एक स्वरूप कामवासना के बारे में बहुत कुछ