अर्पण--भाग (९)

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खाना ख़त्म करके सब अपने अपने बिस्तर पर जा लेटे,सुलक्षणा को भी विचारों ने आ घेरा था,अब सुलक्षणा को श्रीधर के चेहरे से साफ पता चलने लगा था कि शायद वो राज को पसंद करने लगा है,वो अच्छी तरह से अपने भाई के मन की बात समझ रही थी और मन ही मन में सोचकर खुश हो रही थी कि चलो अब श्रीधर की गृहस्थी भी बस जाएगी,उसकी जिम्मेदारी से वो मुक्त हो जाएगी लेकिन मन ही मन वो डर भी रही थी कि राज इतने बड़े घर की लड़की है ,क्या वो श्रीधर से ब्याह करने को राज़ी होगी?