बरसात में नहायी डामर की काली सड़क नागिन सी पसरी पड़ी थी।कभी कभी कोई कार शोर मचाती हुई देवेन के आगे से गुज़र जाती थी।कुछ देर बाद सामने से लाल रंग की बस आती हुई नजर आयी।बस देवेन के सामने आकर रुकी थी। लाल रंग की साड़ी पहने चारुलता उसमे से उतरी थी।काफी देर से देवेन उदास खड़ा था लेकिन चारुलता की देखते ही उसकी आँखों मे चमक आ गई थी।ऐसे बिगड़े मौसम में भी चारुलता ने अपना वादा निभाया था।देवेन मुस्कराते हुए आगे बढ़ा और उसका हाथ पकड़ लिया था।"तुम्हे आये देर हो गई?"देवेन का हाथ थामे उसके साथ