आग और गीत - 16

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(16) राजेश जहां था वही से उसने कलाबाजी लगाईं औए अपने साथियों के सरों पर से होता हुआ ठीक उस भीमकाय आदमी के सामने गिरा और बिजली की सी तेजी के साथ उलटा खड़ा हो गया और बोला । “हम बनजारे है । तमाशा दिखाना चाहतें है ।” “सीधे खड़े हो जाओ ।” उस आदमी ने कोमल स्वर में पूछा । राजेश सीधा खड़ा हो गया । “कहां से आये हो ? ” उस आदमी ने पूछा । “पहाड़ी की दूसरी ओर से ।” राजेश ने कहा । “यहां पहले भी कभी आये हो ? ” “नहीं ।” “फिर हमारी