कहानी एक समर्पण की मां

  • 5.9k
  • 1.5k

रविवार का दिन था और सुबह के 7:00 बज रहे थे. डॉक्टर रितिका चौहान फोन पर किसी महिला से बात कर रही थी, जो अपनी बेटी की समस्या के संबंध में रितिका से मिलना चाहती थी. “ आई एम सॉरी, मैम. मैं रविवार के दिन किसी भी पेशेंट को नहीं देखती हूँ. आप सोमवार को आ जाइये ” - डॉक्टर रितिका चौहान फोन पर एक महिला को समझाने का प्रयास कर रही थी, मगर वह महिला अपनी जिद पर अड़ी हुई थी. दूसरी तरफ से बात करनेवाली महिला ने डॉक्टर रितिका से कहा - “ प्लीज डॉक्टर, मैंने सुना है