स्टेट बंक ऑफ़ इंडिया socialem(the socialization) - 10

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राष्ट्र की सीमाओं के साथ विश्व जुड़ा हुआ है यह बात मान कर चलने वाला योगी कभी विनाश को प्राप्त नहीं करता. जब राष्ट्र अर्थपूर्ण बनता है तब उसके शुभ संसार को अवश्य मिलते हैं. अदैन्य के प्रफुग मैं यह सारी बातें चिक चिक कर गाई गई है. मुट्ठी ऊंचेरे बुद्धो की सुषुप्ति को आप आलस का नाम नहीं दे सकते. क्योंकि ऐसी सुषुप्ति कई बार भावि महान घटना के संकेत भी हो सकती है. अदैन्य की सुषुप्ति भी कहीं ना कहीं ऐसा ही कुछ धारण करके बैठी है. संसार जितने अपने चढ़ाव उतारो की आंच में आता है, उसके स्वर्ण अधिकार उतने