दैनिक दिनचर्या-समय का सही सम्मान

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समय" शब्द कितना सीधा सादा, परन्तु कितना महत्वकांक्षी, अपने पल, पल की कीमत मांगता है। कहता ही रहता है, कि मेरा उपयोग करो, नहीं तो मैं वापस नहीं आने वाला। सच भी यही है, इसका सही उपयोग ही इसकी 'कीमत' है।आज से पहले समय की कमी की चर्चा शायद लोग कम करते थे, क्यों की आर्थिक जरूरतें कम थी।साधनों को विकसित करने के लिए भी, जरूरत के ज्ञान को अर्जित करने के लिए भी, संयमित होने का उन्हें अभ्यास नियमित करना पड़ता, क्योंकि हाथ से साधन विकसित करने में समय लगता था। इसलिए दिनचर्या उनके जीवन का एक हिस्सा था।आज