चाचीजी का प्रेम

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सदा की तरह वार्षिक अवकाश में अपने गृहनगर पहुंचा। अपने चाचाजी के यहाँ मिलने के लिए गया तो दादी की तस्वीर पर ‘हार’ चढ़ा देखा। मन में दादी के साथ बिताए पल याद आने लगे। कैसे दादी कम संसाधनों के बावजूद परिवार को एक रखने में कामयाब हुई थी? अपने बच्चों को सही मुकाम तक पहुंचाने में सफलता प्राप्त की थी। दादी को समाज में काफी सम्मान प्राप्त था। परिवार में सबसे बड़ी भी थीं। उनका रूतबा वैसे भी कायम था। सभी उनके सामने मर्यादित होकर बात करते थे। यदि कहीं किसी को दादी बेअदबी करता हुआ देखतीं थी उसी