राष्ट्र्भूमि केंद्र विद्यालय का समाज में बहुत नाम है। यहाँ से पढ़कर निकलनेवाले छात्र उच्च पदों पर सुशोभित हैं। इस विद्यालय को सजाने-संवारने में यहाँ के अध्यापकों, शिक्षकेतर कर्मचारियों का बहुत बड़ा योगदान रहा है। समय बदलता है तो शिक्षक आदि भी बदलते चले गए। जिस मूल्यों तथा विचारधारा को लेकर विद्यालय की स्थापना हुई थी वह मूल्य समय के साथ बदलते चले गए। भय का वातावरण बना दिया गया। सभी भय के साए में जीने लगे। सब खामोश रहने लगे, कोई आवाज भी नहीं करता। कोई करे भी क्यों? सच बोलकर यहाँ, कोई किसी को नाराज़ नहीं करने