इसी तरह एक साल बीत गए रत्ना और रवि अपने चाचा के साथ बहुत ही राजी खुशी रहने लगे।हर गर्मी की छुट्टियों में रमेश बच्चों को और चन्द्रू काका को लेकर घुमाने निकल जाते थे कभी दिल्ली तो कभी आगरा के ताजमहल।इसी तरह जिंदगी चलने लगा था रमेश हमेशा अम्मा को याद किया करता था उसे हमेशा ये दुःख सताता रहता कि काश वो सभी की रक्षा कर पाता। तो आज पुरा परिवार मेरे साथ होता।।हकीम पुर गांव अब धीरे -धीरे बसने लगा था जो लोग शहर चले गए थे वो अब अपने घर वापस आ रहें थे।रमेश ने मन