बेटी - 4

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काव्य संकलन ‘‘बेटी’’ 4 (भ्रूण का आत्म कथन) वेदराम प्रजापति ‘‘मनमस्त’’ समर्पणः- माँ की जीवन-धरती के साथ आज के दुराघर्ष मानव चिंतन की भीषण भयाबहिता के बीच- बेटी बचा- बेटी पढ़ा के समर्थक, शशक्त एवं साहसिक कर कमलों में काव्य संकलन ‘‘बेटी’’-सादर समर्पित। वेदराम प्रजापति ‘‘मनमस्त’’ काव्य संकलन- ‘‘बेटी’’ ‘‘दो शब्दों की अपनी राहें’’ मां के आँचल की छाँव में पलता, बढ़ता एक अनजाना बचपन(भ्रूण), जो कल का पौधा बनने की अपनी अनूठी लालसा लिए, एक नवीन काव्य संकलन-‘‘बेटी’’ के रूप में, अपनीं कुछ नव आशाओं की पर्तें खोलने, आप के चिंतन आंगन में आने को