क्या भुत प्रेत सच में होतें है - पार्ट 3 - अंतिम भाग

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शाम का वक्त था | और हमारे मोेहल्ले की लाईट कटी हुई थी आस पास के बच्चे और बुजुर्ग लोग बाहर खटीया में बैठे थे और मैं उन बच्चों के साथ वहीं बैठा हुआ था | हम लोग शायरी गाना ईत्यादी गुनगुना रहे थे | तभी उन्हीं में से एक लड़का बोलता है की चलो छुपाछापी खेलते है | ईस खेल में सब बच्चे छुप जाते है | और एक जन को उन सभी को खोजना पड़ता है उसके बाद जो पकड़ाता है उसे चोर बन्ना पड़ता है यानी के अब उसकी बारी आ जाती है अपनी आँख किसी दिवार या पेंड़ के