आग और गीत - 15

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(15) “फिर किसके बारे में बातें करूँ ? ” राजेश ने पूछा । “मेरे बारे में भी कुछ बातें करो ।” “तुम्हारे बारे में क्या बातें करू, तुम तो मेरे सामने मौजूद ही हो और मैं तुमको देख रहा हूँ मगर अब तुम्हारा चेहरा मुझे साफ़ नहीं दिखाई दे रहा है ।” “क्यों चाँद की रोशनी तो है, फिर....। ” “बात यह है कि नींद के कारण मेरी आँखे बंद होती जा रही है ।” राजेश ने कहा और चट्टान पर लेट गया । “तुम थके भी हो और ज़ख्मी भी हो, तुम्हें आराम करना ही चाहिये । ” निशाता