?️वो रेलगाड़ी का सफ़र️?️? जीवन का है अनुपम प्रहर?️~••~••~••~••~••~••~••~••~••~••~ये रचना रेलगाड़ी में मुसाफ़िर के रुप में सयोंग से मिले दो पात्रो जो अपनो के षड्यंत्रों का शिकार हुए है, उनकी व्यथा को अल्फाज़ो में काव्य की शब्दमंज़री में गहन गुढार्थो को भरके विशिष्ट अलंकारों से सजा के मेरे ज्ञान के मुताबिक प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयास किया है।लिखने की सुरुआत की तो छोटी सी रचना लिखना चाहता था, पर मन में वो रचना का पात्र चित्रण किया तो शब्द अपने आप जुड़ते गए, शब्दो के अनेरे संगम से गूढार्थ रचते गए। रचना