अक्सर औरत को जीवन में मजबूर हो कर हालात से समझौता करना पड़ता है , कभी ख़ुशी से तो कभी मजबूरी से …. कहानी - मैं कब गलत थी ? वह एक दिवाली की रात थी . तरला अपने चाचा के घर आयी हुई थी . तरला की सगाई संजय से हो चुकी थी . दो महीने बाद संजय से उसकी शादी होने वाली थी . वहां उसके चाचा , चाची , और चचेरे भाई नवीन के अतिरिक्त उसकी चचेरी बहन मालती और जीजा नागेश भी थे . उसकी बहन मालती उससे मात्र तीन साल ही बड़ी