कैसा ये इश्क़ है.... - (70)

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शान के अंदर जाने और दरवाजा बंद करने के बाद चित्रा मुस्कुराते हुए बोली,मुझे स्टोर रूम में कोई समस्या नही प्रशांत जी मह्त्वपूर्ण ये है कि आप किसी अपने की निगरानी में है।खुशी में चित्रा शान की बेरुखी को नोटिस ही नही कर पाई है।वो मुस्कुराते हुए वहां से स्टोर रूम की ओर चली जाती है एवं झाड़ झंखाड़ हटा कर वो स्थल स्वच्छ कर अपने रहने योग्य बना लेती है। वहीं कमरे में मौजूद शान खुद से बड़बड़ाते हुए कहते है, ताईजी आपकी इंटेंशन मैं समझ रहा हूँ,आप जो कर रही है मेरे भले के लिए ही कर रही