रमेश ने मन में सोचा सब कुछ ठीक हो वहां।उर्मी कैसी होगी? क्यों मैं नहीं सोच पाया कुछ एक साल में मैंने तो जाने की कोशिश नहीं की।फिर प्लेटफार्म पर गाड़ी आकर रुकी और रमेश जाकर बैठ गया और फिर सोचने लगा रात तक पहुंच कर मां के हाथों का खिचड़ी खाऊंगा।फिर इसी तरह गाड़ी रात के ग्यारह बजे तक हकीम पुर स्टेशन पर पहुंच गई।रमेश अपना सामान लेकर उतरने लगा तो एक सज्जन बोले अरे भाई यहां कहा उतर रहे हो? यहां तो कुछ नहीं बचा है।रमेश बोला अरे यहां पर मेरा घर परिवार है।सज्जन बोले पर यहां मत